Thursday, January 1, 2015

अरे पहचाने नहीं हमका… हम पीके हूं पीके, हम से का प्राब्लेम है?

पीकेः हमरी फिलिम का कोनु और काहे विरोध कर रहै है?

जग्गुः आप नहीं जानत, भुल गये? ये बजरंगदल, बाबा रामदेव और सोशल मीडिया वाले है।

पीकेः बजरंग दल कौन है, उ का हनुमानजी की सेना है का, तो फीर उन को तो जिस तरह बजरंगबलीने सीताजी को रावण के चुंगल से छुडाने के लिये लंका जलायी थी उसी तरह फिलिम का पोस्टर फाडने के बदले बलात्कारीयों को फाड देना चाहीये। ससुरा हमार थियेटर क्युं तोड रहै है, हनुमानजी ने तो रामसेतु बनाया था तो ये आपके गोले के टूटे मार्ग नहीं बना सकते का?

जग्गुः इन लोगो को आपकी फिल्म पर आपत्ति है भाया।

पीकेः क्युं हमरी फिलिम में एसा का है?

जग्गुः ये कह रहे है आपकी फिल्म में मंदिर से लेकर शंकर भगवान तक का अपमान किया है।

पीकेः अरे, हमने क्या अपमान किया? अपमान उ लोगन ने कीया जौन आश्रम बनाकर बच्चा लोग को मारते है, ससुर बलात्कार करते है, मेरी फिलिम का विरोध करना रांग नंबर है।

जग्गुः तो फिर सही नंबर क्या है?

पीकेः बताता हुं, आसाराम और बाबा रामपाल जैसो का विरोध कीजिये, ये तो वही बात हुई ना की दुर्बल को डराओ, हम तो कलाकार है, ना ही हमरे पास ईतना पैसा है और ना ही दिल्ली में कोई जानता है। हम तो वो लोग है जो पहले समाज में बनता है, बाद में फिलिम बनाते है, जब ये सब होता है तब ई लोग कहां होते है? इ कौन होते है हमरी फिलिम का विरोध करने वाले, ईन पर विरोघ करने का ठप्पा है का?

जग्गुः वो कह रहे है फिल्म में लव जेहाद की बात है, वो हिन्दु के खिलाफ है।

पीकेः इ हिन्दु का है, हमरे गोले पे तो सब ईन्सान रहते है, प्यार करने के लिये कोई खास ठप्पा होता है का, ईनसे प्यार करो और ईनसे नाहीं। मैने तो बस रोंग नंबर तोडने का प्रयास किया है।

जग्गुः याद कीजिये, जब आप अपने गोले से यहां आये थे, और फिलिम बनाना चाहते थे, तब ईन सब लोगोनें आपसे फिल्म बनाने से पहले ही बात की थी।

पीकेः हां, अरे याद आ रहा है, कौनु हमरी फिरकी ले रहा है, वो का बात हुई थी उन लोगो से?

पीकेः इ कौन सा गोला है, हम तो उस गोले से ईस गोले में आये है, इ बालिवूड का कोई अलग गोला है का?

जग्गुः इस गोले में फिल्म बनती है।

पीकेः हम भी फिलिम बनाना चाहते है।

जग्गुः फिल्म बनाने से पहले आपको सब समाज के ठेकेदारो से बात करनी पडेगी।

पीकेः वो कौन है और कहां मिलगे?

जग्गुः शंकराचार्य, बाबा रामदेव, मौलाना, पादरी, बजरंग दल, टुटरीया(ट्विटर) वाले और फेसबुक वालो से लेके और भी कई है...

पीकेः वो सब फिलिम-विलिम देखते है का?

जग्गुः नहीं, फिल्म तो नहीं देखते है, लेकिन उनसे बात नहीं की तो आपकी फिल्म चलना मुश्कील है।

पीकेः वो तय करते है का फिलिम कैसे बनाई जाएं, वो तो देखते नहीं फिस उन सबसे का बात करनी।

जग्गुः उनसे बात करनी पडेगी उसके बिना बात नही बनेगी।

पीकेः चलो आप कहते है तो बात करते है, बुला लो सबको, दे दो खबरियां।

जग्गुः लिजिये ये आ गये, जिनके बारे में मैंने आपको बताया था, ये सब वहीं लोग है।

पीकेः आप बतायें हम कैसी फिलिम बनाये।

समाज के ठेकेदारः आप पहले ये बतायें की कौनसे विषय पे फिल्म बनाना चाहते है?

पीकेः मैं सोशल मु्द्दा उठाना चाहता हुं, मैं बताना चाहता हुं की हम सब एक हैं। भेदभाव हमने खुद बनाए हैं। आपके गोले पे जो अंधविश्वास फैला है ना, उनके खिलाफ अलख जगाना चाहत है। ये सब बाते एकदम हल्की फुल्की कोमेडी के माध्यम से बताना चाहत है।

समाज के ठेकेदारः अरे, ईस तरह की फिल्म मत बनायें।

पीकेः नहीं, हम अपनी विचारधारा पेश करना चाहत है और मुजे ऐसी हि फिल्म बनानी है, आप चाहे तो मार्गदर्शन कर सकते है।

समाज के ठेकेदारः देखो भाई फिल्म जरूर बनायें, लेकिन उस में मंदिर, आश्रम, चर्च, मस्जिद, गिरिजा घर मत दिखाना और ध्यान रहे आश्रम की तो बात भी मत करना। अगर फिर भी कुछ दिखाना चाहते हो तो आश्रम में कैसे लोगो के दुख दर्द कैसे दूर होते है, वो दीखा सकते हो।

पादरीः देखो भैया, चर्च के बारे में कुछ ना ही दिखाओं तो अच्छा है, अगर दिखाना चाहते हो तो कैसे प्रार्थना और शादी होती है वो ही दिखाना।

मौलवीः हमरी बात मानो ये विषय ही छोड दो, और कोई विषय चुन लो, में तो कहता हुं ये सिनेमा ही गंदी चीज है। ये काम छोडो और अच्छा काम करने की सोचो। फीर भी मेरी बात नहीं माननी है तो एक बात सुन लो, फिल्म में कहीं भी मस्जिद मत दिखाना, दिखाना है तो नमाज पढना और अमन का संदेश कैसे दिया जाता है वो दिखाना।

बजरंग दलः हमने सबकी बात सुनी है, उस पर से कह सकते है की फिल्म में जीतनी बार मंदिर आयेगा उतनी ही बार मस्जिद और चर्च दिखाना एक फ्रेम भी ज्यादा नहीं, कम चलेगी।

सोश्यल मीडिया वालेः पहली बात ये की आप के इसी प्रकार की कई फिल्म बनी है, मिसाल के तौर पे जादुगर और ओह माय गोड ही ले लिजीए। ये विषय तो नकल है, इस में कुछ नया नहीं है, कुछ नया करो। आप जैसे अलग गोले वाले से कुछ नये की उम्मीद है।

पीकेः आप सब की बात मैंने सुन ली है, लेकीन आपकी बातो का खयाल रखुंगा तो, फिलिम नहीं सीरियल बनानी पडेगी, और मेरे पास सिर्फ ढाई घंटे से ज्यादा समय नहीं है। मैंने रास्ते में दिखा आपके गोले में ज्यादा मंदिर ही है, और ज्यादातर लोग मंदिर में जाते दिखे। तो सीधी सी बात है, ज्यादा मंदिर की फ्रेम ही होगी बाकी समय में मस्जिद, चर्च और गिरिजाघर.. की बाते आ जायेगी।

जहां तक 'ओह माय गोड' और 'जादुगर' की बात है तो मेरी फिलिम उन दोनो फिलिम से अलग होगी, देखिये मेरी फिलिम का कान्सेप्ट और स्टोरी टेलिंग अलग है, कहानी शायद एक हो लेकीन मेरी फिलिम का किरदार में नयापन है, क्योंकी मेरी कहानी का नायक थोडा विचित्र है। वो छोटी छोटी हरकतो से बडी बडी बाते बतायेगा और दर्शक ठहाके लगाते लगाते गंभीर बात समज जायेंगे, इसमें मजे का मजा और मेसेजे का मेसेज। फिलिम में कई बात नयी है, जो आपको सिनेमाघर में पता चलेगी।

पीकेः में तो ये सब जानता नहीं हुं की आपके गोले पे इ का हो रहा है, लेकीन एक बात जरूर कहना चाहुंगा। आप लोगो से हाथ जोड के बिनति कर रहा हुं, हम कलाकार और सीधे सादे लोग है, कोई भी कलाकार की पीडा का होती है, वो जाननें के लिये आपको हमसे गले मिलके और नजदिक से देखके समजने की कोशिष करनी चाहीये। अगर एसे ही चला तो आपके गोले में सिनेमाघर, टीवी, रेडीयो सब खाली हो जायेगा और लोग उदासी में डूब जायेंगे, दुःख और दर्द के अलावा कुछु नहीं बचेगा। एक दिन ईन सबसे तंग आकर लोग जी नहीं सकेंगे सिर्फ बचेगा तो ये खाली जुता।